रविवार, 24 जनवरी 2016

राहुल द्विवेदी स्मित का गीत

          ●  ~~गीत~~ 
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रात तपती रही दिन पिघलता रहा ।
सिलसिला बस यही रोज चलता रहा ।।

हाथ में मोम की बातियों को लिए,
रौशनी के लिए खूब भटका किये ।
हर कदम ये सफर दिल को खलता रहा ......
सिलसिला..............।।

बूढ़े माँ बाप आशा के दीपक तले,
लकड़ियों के सहारे टहलते रहे ।
घर का दीपक निगाहें बदलता रहा.....
सिलसिला .............।।

कल सरे राह सपनों को कुचला गया ,
पास लाकर भरोसे को मारा गया ।
आदमी में भला कौन पलता रहा...
सिलसिला.........।।

राह में एक भूखा भिखारी मिला ,
पाके रोटी किसी से चहकने लगा ।
इस तरह पेड़ नेकी का फलता रहा.....
सिलसिला...........।।

बीज नफरत के बोये गये टूटकर,
सैकड़ों रास्ते मिल गये बेखबर ।
प्यार का एक सौदा ही टलता रहा.......
सिलसिला........।।

देखता है अगर मौन बैठा है क्यों,
वो बिधाता भला आज ऐंठा है क्यों ।
मूंग इन्सान कुदरत पे दलता रहा....
सिलसिला.......।।

चल जला रौशनी नेकियों की निकल ,
खुद के झूंठे भरम को भुला और चल ।
खाई ठोकर मगर तू सम्हलता रहा....
सिलसिला..........।।

--------राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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