मैं भारत का अंगारा हूँ
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मैं भारत का अंगारा हूँ, आग लगाने आया हूँ ।
आतंकी अँधियारे को मैं, दूर भगाने आया हूँ ।।
सरहद की मिट्टी का चन्दन, इस माथे पर रहता है ।
देशप्रेम की लिए लालिमा, रक्त नसों में बहता है ।
स्वाभिमान की कीमत दुनिया, को दिखलाने आया हूँ...
आतंकी........।।
तुमने हाथ बढ़ाया हमने, उन हाथो को चूम लिया ।
लिए शांति का परचम हमने, रावलपिंडी घूम लिया ।
चले दोगले दाँव जो' तुमने , उन्हें मिटाने आया हूँ ...
आतंकी........।।
मैं गाली की भाषा में, अंगार नही लिख सकता हूँ ।
और दोगले गद्दारों को, प्यार नहीं लिख सकता हूँ ।
मैं हूँ सूर्यवंश का प्रहरी, आज बताने आया हूँ ।
आतंकी .......।।
अगर शान्ति के लिए शांति की, नदिया बनकर बहता हूँ ।
शीश काटने वालों का फिर, शीश काट भी सकता हूँ ।
दुश्मन को उसकी करनी का, सबक सिखाने आया हूँ ...
आतंकी............।।
बेगुनाह तुमने जो मारे, उनका दर्द भुला बैठे ।
हमने रावण मारे तो तुम, काला दिवस मना बैठे ।
पुनः विश्व में रामशक्ति की, झलक दिखाने आया हूँ.....
आतंकी..........।।
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राहुल द्विवेदी 'स्मित'
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