याद आती हैं आपकी बातें
क्यूँ सताती है आपकी बातें ।।
चाँद पूनम का जब भी आता है
दिल जलाती हैं आपकी बातें ।।
आपको मुझपे है यकीं लेकिन
आजमाती हैं आपकी बातें ।।
सोचती हूँ कि मिल लूँ ख़्वाबों में
पर जगाती हैं आपकी बातें ।।
चुपके चुपके से आके होंठो पर
मुस्कुराती हैं आपकी बातें ।।
मेरे मासूम से ख़यालों पर
हक जताती हैं आपकी बातें।।
देके रुस्वाइयां "रमा" हमको
फिर मनाती हैं आपकी बातें ।।
बात दिल पर लगाने से क्या फायदा
बेवजह रूठ जाने से क्या फायदा ।।
कोरी बातें बनाने से क्या फायदा
झूठ को सच बताने से क्या फायदा ।।
जिंदगी फिर दुबारा मिलेगी नहीं
वक्त को यूँ गंवाने से क्या फायदा ।।
मुँह छिपाते हैं जो काम के वक्त पर
हाथ उनसे मिलाने से क्या फायदा ।।
ख्वाब जो सच नही हो सकेंगे कभी
रोज उनको सजाने से क्या फायदा ।।
दर्द की जो दवा बन सके ही नहीं
जख्म उनको दिखाने से क्या फायदा ।।
जब दुआएं किसी की कमाई नहीं
फिर करोड़ों कमाने से क्या फायदा ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें