ग़ज़ल--एक
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दोस्त कोई न मेह्रबाँ कोई
काश मिल जाए राज़दाँ कोई।।
दिल की हालत कुछ आज ऐसी है
जैसे लूट जाए कारवाँ कोई।।
एक ही बार इश्क़ होता है
रोज होता नहीं जवाँ कोई।।
तुम को वो सल्तनत मुबारक हो
जिसकी धरती न आसमाँ कोई।।
सारथी कह सके जिसे अपना
सारथी के सिवा कहाँ कोई।।
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ग़ज़ल--दो
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इन्तिज़ार इन्तिज़ार है तो है
ऐतबार ऐतबार है तो है।।
मैं हूँ नादाँ अगर तो, हूँ तो हूँ
वो अगर होशियार है तो है।।
छोड़कर मुझको सिर्फ़ इक वो चाँद
हिज़्र का राज़दार है तो है।।
कल वो हँसता था मेरी हालत पर
वो भी अब बेक़रार है तो है।।
दीद का लुत्फ़ हो गया हासिल
अब नज़र कर्ज़दार है तो है।।
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संक्षिप्त विवरण--
नाम : बैद्यनाथ
उपनाम : सारथी
सम्प्रति: वेतन भुगतान पदाधिकारी ( एस.आई.एस. इंडिया प्रा. लि. )
शिक्षा :
संगणक अनुप्रयोग में स्नातकोत्तर (MCA) और गणित शास्त्र में स्नातकोत्तर (MSc.)
जन्म : 19 अगस्त 1985
ईमेल : saarthi4all@gmail.com
दूरभाष : 9835028416
पता : रघुनन्दन आवास , सुरौधा कोलनी,पोस्ट + थाना – कोईलवर
जिला : भोजपुर
पिन : 802160
वाह्ह्ह् उम्दा ग़ज़ल हुई।दिली दाद।
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हटाएंThank you so much Sir.
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