रविवार, 7 अगस्त 2016

रमा वर्मा जी का रक्षाबन्धन गीत

काव्य शिल्पी समूह के 'गीत-गागर' में चयनित।
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सावन आया फिर से लेकर
राखी का त्यौहार सखी !
पाएँगे हम कुछ भैया से
सुंदर सा उपहार सखी !

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शगुन मनाएं मंगल गायें,
राखी थाल सजायेंगे,
अक्षत रोली मंगल मोली,
टीका भाल लगाएँगे,
रहे महकता सदा हमारे
भैया का संसार सखी |
पाएँगे हम कुछ भैया से
सुंदर सा उपहार सखी !

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रूपये पैसे धन दौलत को
रिश्तों में क्यों लाएँ हम !
छोटी छोटी नोंक झोंक को
दिल से नहीं लगाएँ हम
दुआ यही है जीवन उनका
रहे सदा गुलजार सखी !
पाएँगे हम कुछ भैया से
सुंदर सा उपहार सखी !

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कच्चे धागों का है बंधन
तुम भी रखना मान सदा !
जग में है अनमोल ये राखी
इसका रखना भान सदा !
कभी न कम होने हम देगें
आपस का ये प्यार सखी !
पाएँगे हम कुछ भैया से
सुंदर सा उपहार सखी !

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यश वैभव खुशहाली नित नित
बढती जाए आँगन मे !
यही तमन्ना है दिल की जो
पूरी होगी सावन में !
दिन दिन बढ़ता रहे सवाया
भैया का व्यापार सखी !
पाएँगे हम कुछ भैया से
सुंदर सा उपहार सखी !

     रमा वर्मा
नागपुर, महाराष्ट्र
      भारत

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