शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

नीलम भारती की ग़ज़ल-'होंठो पर उनका ही तराना होता है'

काव्य शिल्पी फिलब्दीह-10
🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁

होंठो पर उनका ही तराना होता है
जिनका दिल में ख़ास ठिकाना होता है

ग़म के साये भी ग़र मिलते हैं यारो,
हँसते हँसते साथ निभाना होता है

रहते है जो सदा नशे में दौलत के
उनको इक दिन ठोकर खाना होता है

हो जाये गर यार ख़फ़ा दो पल को भी ;
तो समझो जीवन वीराना होता है

रोकर कोई जब चलता है महफ़िल से
तय है उसका जख़्म पुराना होता है

आशिक तकते है अब तक उन गलियो को
जिसमें उनका आना जाना होता है।

नीलम भारती
इटौंजा, लखनऊ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें