गुरुवार, 4 अगस्त 2016

सुनील त्रिपाठी की ग़ज़ल

काव्य शिल्पी, फिलबदी-7

🍁🍁
घुप अँधेरे से'तो  गुजर जाऊँ।
देख कर रौशनी न डर जाऊँ ।
🌹💮
तुम निगाहों से रोक लो मुझको।
बस  इशारा  करो  ठहर  जाऊँ।
🐚🐡
प्यार पाने की आस में इक दिन ।
मैं न  होकर  निराश  मर  जाऊँ ।
🌳🌲
यूँ न भरकर  नज़र मुझे देखो ।
नर्म अहसास ले किधर जाऊँ ।
🌻🌼
गर कहो तुम तो छोड़ कर दुनिया ।
इम्तहाँ  सख़्त  पास  कर  जाऊँ।
🌱🌾
जाते- जाते भी   कुछ करूँ ऐसा ।
ख़ुश्क आँखों में अश्क भर जाऊँ।
🌴🌿

सुनील त्रिपाठी
लखनऊ

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