【काव्य शिल्पी, फिलबदी-7】
🍁🍁
घुप अँधेरे से'तो गुजर जाऊँ।
देख कर रौशनी न डर जाऊँ ।
🌹💮
तुम निगाहों से रोक लो मुझको।
बस इशारा करो ठहर जाऊँ।
🐚🐡
प्यार पाने की आस में इक दिन ।
मैं न होकर निराश मर जाऊँ ।
🌳🌲
यूँ न भरकर नज़र मुझे देखो ।
नर्म अहसास ले किधर जाऊँ ।
🌻🌼
गर कहो तुम तो छोड़ कर दुनिया ।
इम्तहाँ सख़्त पास कर जाऊँ।
🌱🌾
जाते- जाते भी कुछ करूँ ऐसा ।
ख़ुश्क आँखों में अश्क भर जाऊँ।
🌴🌿
सुनील त्रिपाठी
लखनऊ
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