काव्य-शिल्पी

साहित्य एक विशद अनुभूति है और वह अनुभूति मानव मन में बसी है.....आइए महसूस करें उस अनुभूति को....😊

सोमवार, 26 जुलाई 2021

रामानुज त्रिपाठी के गीतों में नव-मानवतावाद by सत्यम भारती

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               रामानुज त्रिपाठी नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर माने जाते हैं। इनके गीतों में विषयों का विस्तार, कला का सुंदर नमूना, नव...
सोमवार, 5 जुलाई 2021

नवगीत-भरा हुआ संत्रास by आशुतोष कुमार आशू

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जटा बढ़ाए बंजारा मन  ढूढ़ रहा नित ठौर..!! बना रहा है आज उजालों पर अँधियारा धाक, डाँट पिलाता है हाथों को कुम्भकार का चाक, छूटा जाता...
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शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

नवगीत-तप कर हम कुंदन निकलेंगे by संध्या सिंह

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मुस्कानों को अगर हटाया  दबे हुए क्रंदन निकलेंगे  अभी मौन की भट्टी में है  तपकर हम कुंदन निकलेंगे भरसक शब्द दिये चिंतन को  लेकिन ...
गुरुवार, 1 जुलाई 2021

नवगीत-सुबह की गंध by विनय विक्रम सिंह

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चल सुबह की गंध सूँघें,  थक रहा है तन। रख नहीं छोटे क़दम तू, दूर उसका घर। हर क़दम में लाँघ राही, हाँफने के स्वर। राह में काँटे बिछा...

सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश by राज खन्ना

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तब ऐसा था सुल्तानपुर                        ■ राज खन्ना                        ब्यौरे बहुत पुराने हैं लेकिन उनकी दिलचस्पी हो सकत...
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अवनीश त्रिपाठी
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