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तेरी साँसों में ही उतर जाऊँ,
तेरे बिन मैं भला किधर जाऊँ।
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देखकर तेरा अक्स सीसे में,
खुद ही खुद में ज़रा संवर जाऊँ।
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देखकर मुझको मुस्कुरा देना,
तेरी गलियो से ग़र गुज़र जाऊँ।
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ग़ैर से लग रहे हो तुम मुझको,
कैसे फिर तुममें मैं उतर जाऊँ।
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तेरे जाने के ख्याल भर से ही ;
यूँ न हो रेत सा बिखर जाऊँ ।
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नीलम भारती
इटौंजा, लखनऊ
उत्तर प्रदेश
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