सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

मोहम्मद तबस्सुम परवेज़ की ग़ज़ल

ना तवाँ दिल था दुखा कर चल दिए
दूर से ही मुस्कुरा कर चल दिए

हम हुए रुख़सत जहाँ से और वो
आँख से आंसू बहा कर चल दिए

छोटे बच्चे आदमीयत का सबक़
बातों बातों में सिखा कर चल दिए

हम खड़े ही रह गए थे दम बखुद
आप रुख़ अपना दिखा कर चल दिए

भूखे बच्चों ने नसीहत कब सुनी
 आये और रोटी चुरा कर चल दिए

चलते चलते कर गए हम कारे खैर
रोते बच्चों को हंसा कर चल दिए

अपने बेगाने तबस्सुम हो गए
गौर में हम को सुला कर चल दिए

ناتواں دل تھا  دکها کر چل دئے
دور سے ہی مسکرا کر چل دئے

ہم ہوئے رخصت جہاں سے اور وہ
آنکه سے آنسو بہا کر چل دئے

چھوٹے بچے آدمیت کا سبق
باتوں باتوں میں سکها کر چل دئے

ہم کھڑے ہی رہ گئے تھے دم بخود
آپ رخ اپنا دکھا کر چل دئے

بهوکے بچوں نے نصیحت کب سنی
آئے اور روٹی چرا کر چل دئے

چلتے چلتے کر گئے ہم کار خیر
روتے بچوں کو ہنسا کر چل دئے

اپنے بے گانے تبسم ہو گئے
گور میں مجه کو سلا کر چل دئے

©मोहम्मद तबस्सुम परवेज़

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