कवि रहमान अली (रिक्शा चालक)
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बस्ती, (उ.प्र.) कोई रिक्शा
चालक कविताएं लिखता हो तो सुनने में दिलचस्प लग सकता है,
लेकिन उत्तर प्रदेश के एक रिक्शाचालक की
लिखी चार किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं,
जिसमें विभिन्न मुद्दों पर आधारित करीब चार सौ
कविताओं का संग्रह है।
बस्ती जिले के बड़ेबन गांव निवासी रहमान
अली रहमान (55) की
राष्ट्रीय एकता, सांप्रदायिक सौहार्द्र, पानी
और महंगाई जैसे विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर कविताओं
की चार किताबें प्रकाशति हो चुकी हैं।
रहमान ने बताया, "कविता लेखन मेरे जीवन का अभिन्न
हिस्सा है। बिना कविताओं के मैं अपने जीवन
की कल्पना नहीं कर सकता। कविता मुझे
जीवन की कठिनाइयों का सामना करना
की शक्ति देती है।"
रहमान के मुताबिक जब उन्हें सवारी नहीं
मिलती तो वह अपने समय का उपयोग कविता लिखकर
करते हैं।
परिवार की आर्थिक हालत ठीक न होने के
चलते रहमान ने 10वीं के दौरान स्कूल छोड़
जीविका चलाने के लिए काम करना पड़ा, लेकिन वह
लेखक बनना चाहते थे। वह कहते हैं, "पिता के निधन के बाद मेरे
ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। उस
समय लेखन के क्षेत्र में जाकर अपनी महत्वाकांक्षा
पूरी करने के लिए न तो मेरे पास समय था और न
ही संसाधान।"
कुछ समय बाद रहमान कानपुर जाकर एक सिनेमाघर में
नौकरी करने लगे। रहमान याद करते हुए कहते हैं कि
नौकरी के दौरान उन्हें फिल्मी गाने सुनने का
मौका मिलता। बाद में वह खुद गीत लिखने का प्रयास
करते। अपने गीतों से रहमान कुछ दिनों में सिनेमाघर के
कर्मचारियों के बीच खासे लोकप्रिय हो गए। रहमान जो
अभी तक केवल गाने लिखते थे धीरे-
धीरे समसामयिक मुद्दों पर लंबी कविताएं
लिखने लगे।
इसी बीच उन्हें बस्ती जिले
स्थित अपने गांव जाना पड़ा, जहां उनकी
शादी हो गई। यहां उन्होंने अपनी
जीविका चलाने के लिए रिक्शा चलाने का फैसला किया। इस
दौरान उन्होंने रिक्शा चलाते हुए कविताएं लिखना जारी
रखा। रहमान के तीन पुत्र और तीन
पुत्रियां हैं।
वर्ष 2005 रहमान के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़
लेकर आया जब एक व्यक्ति की मदद से रहमान
की पहली पुस्तक का प्रकाशन हुआ।
इसके पीछे दिलचस्प कहानी है।
रहमान ने बताया, "आवास विकास कॉलोनी
(बस्ती) के पास एक दिन मैं सवारी का
इंतजार कर रहा था तभी एक व्यक्ति ने मुझसे
कहीं छोड़ने के लिए कहा। उसने देखा मैं कागज पर
कुछ लिख रहा हूं। रास्ते में बातचीत के दौरान उसे मेरे
कविता लेखन के बारे में पता चला। उसने मुझे स्वतंत्रता दिवस के
मौके पर कानपुर जेल के एक कार्यक्रम में कविताएं सुनाने का मौका
दिया।"
रहमान ने उस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इस दौरान उन्हें पता
चला कि वह व्यक्ति मशहूर हास्य कवि राम कृष्ण लाल जगमग
हैं।
बाद में रहमान का सामाजिक दायरा बढ़ा। एक कार्यक्रम में रहमान
की मुलाकात कुछ शक्षिकों से हुई। वे कानपुर के एक
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) मानस
संगम के सदस्य थे। इन लोगों की मदद से वर्ष 2005
में रहमान की पहली पुस्तक
'मेरी कविताए'ं का प्रकाशन हुआ।
तब से रहमान की 'रहमान राम को', 'मत करो व्यर्थ
पानी को' सहित तीन किताबें प्रकाशित हो
चुकी हैं।
राम रहमान परम्परा के कवि और कृष्ण
भक्ति पर केन्द्रित गीत, कविता, ग•ाल लिखने वाले
कवि रहमान अली रहमान को कानपुर में आयोजित
मानस संगम के 47 वें वार्षिक समारोह में सारस्वत सम्मान से
सम्मानित किया गया। रहमान को इसके पूर्व अनेकों सम्मान प्राप्त
हो चुके हैं और उनके 6 कविता संग्रहों में से एक कविता संग्रह
' हो गया कैसा अपना देश' को हिन्दी संस्थान उत्तर
प्रदेश द्वारा 'नजीर अकबरावादी सर्जना'
पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। रिक्शा चलाकर
जीविकोपार्जन करने वाले रहमान अली के
लिये साहित्य पूजा और इबादत है।
प्रस्तुति:---धीरज श्रीवास्तव
(विचार परक समाचार पत्र के माध्यम से)
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