🌹किसका कर बैठे वंदन🌹
"विषधर के आलिंगन में है,
सिसक रहा चंदन।
किसका कर बैठे वंदन॥
पत्थर तो पत्थर हैं ठहरे,
लाख जतन भी नहीं पिघलते।
द्वेष भरा जो लिये आचरण,
प्रेम दिये वह नहीं बदलते।
फिर भी अनजाने कर बैठे,
हम घायल तनमन।
किसका कर बैठे वंदन॥
विष के साथ मिले जब अमृत,
खो देता अपना गुण सारा।
सागर से मिलकर नदिया का,
मीठा जल हो जाता खारा।
फिर भी नागफनी हम बोये,
क्यों मन के मधुबन।
किसका कर बैठे वंदन॥
रंग बदलती इस दुनिया में,
क्यों हम अपना मन भरमाये।
कौन यहां है अपने जैसा,
ये तो केवल समय बताये।
कठिन समय ही इस दुनिया में,
कहलाता दरपन।
किसका कर बैठे वंदन॥"
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गीत - संजीव मिश्रा
पीलीभीत
मो- 07078736282
08755760194
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