बूढी दादी के हँसने का , एक बहाना हो जाता है
कभी कभी पोते पोती का , जब घर आना हो जाता है।
माँ बापू की लाडो बेटी , स्वर्ग बना देती है घर को
अंजाना दर क्यों फिर उसका , सदा ठिकाना हो जाता है।
सास ससुर पति सँग बच्चों की , सभी जरूरत पूरी करती
खुद पर ध्यान दिए नारी को , एक जमाना हो जाता है।
खलने लगता हैं नारी को , तब अपना ही रूप नजर में
गिद्धों की नजरों में जब वह , रूप निशाना हो जाता है।
अफसर महिला सहकर्मी को , समझाता है समय समय पर
काम सहारे कैसे ऊँचे , पद पर जाना हो जाता है।
राजमार्ग पर रुके ट्रको में , समय बिता कुछ आती है वह
कुछ दिन को बच्चों के जीने , भर का खाना हो जाता है।
प्रेम, त्याग की प्रतिमा नारी , जिसने जन्म दिया मानव को
कैसे इसके सब कष्टो से , वह अंजाना हो जाता है।
------(मनोज मानव)-----
चित्र गूगल से साभार
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