मंगलवार, 8 मार्च 2016

संजीव मिश्रा-महिला दिवस पर गीत

      🌹सात वचन 🌹

"कर अग्निसाक्षी सात वचन,
   जब हम दोनों ने दोहराये।
तुमको स्वछंद मिला जीवन,
   क्यों मैंने ही बंधन पाये॥

तुमने मन चाहे काम किये,
    तुमको सारे अधिकार मिले।
मेरी इच्छाओं को पग पग,
    मर्यादा के उपहार मिले।

मेरे नयनों के स्वप्न विवश,
  क्यों नयनों में ही मुरझाये॥

पैरों पहने बिछुआ पायल,
    माथे बिंदिया हाथों कंगन।
ये चिन्ह सुहागिन के,
     पर पूंछ रहा है मेरा मन।

क्यों तुमको कोई चिन्ह नहीं,
     कोई तो मुझको बतलाये॥

हर बार क्षमा पायी तुमने,
    मेरे अक्षम्य हैं कृत्य सभी।
ढूंडी मुझमें तुमने सीता,
    क्या तुम बन पाये राम कभी।

हर युग में अग्निपरीक्षा क्यों,
   नारी के हिस्से में आये॥"

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          गीत - संजीव मिश्रा
                    पीलीभीत
       मो. 07078736282
            08755760194

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