गीतिका-एक
आधार छंद-दिगपाल
मापनी-221 2122 221 2122
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ये जिंदगी हमारी,
हर पल हमें सिखाती।
जो हम भटक गए तो,
वह राह भी बताती॥
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चलती सदा हमारे,
आगे कदम बढ़ाकर।
जो हम थके कहीं भी,
तो हौसला बढ़ाती॥
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दो चार पग चले हम,
जो साथ जिंदगी के।
इक रंग उन पलों में,
हर बार है दिखाती॥
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आकाश की ऊँचाई,
पाताल की गहनता।
ये जिंदगी गिराकर,
फिर से हमें उठाती॥
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नाराज भी न होती,
ये जिंदगी किसी से।
बस कर्म ही हमारा,
आ लौट कर सताती॥
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गीतिका-दो
आधार छंद- शक्ति छंद
मापनी- 122 122 122 12
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हमें प्यार से तुम सताया करो।
सदा स्वप्न हमको दिखाया करो॥
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कभी रूठ जाऊं अगर मैं प्रिये।
सदा प्रेम से तुम मनाया करो॥
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कठिन राह होती चली जा रही।
कदम दर कदम संग आया करो॥
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भरे खूब कंटक यहाँ राह में।
सुमन राह में तुम बिछाया करो॥
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कहीं खो न जाना किसी भीड़ में।
डगर में न कर तुम छुड़ाया करो॥
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लुटेरे खड़े हैं सभी मोड़ पर।
अकेले नगर में न जाया करो॥
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रहूँगा सदा संग दिल में प्रिये।
हमें प्यार से तुम बुलाया करो।
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दिनेश कुशभुवनपुरी
चाँदपुर-बरौंसा, सुलतानपुर(उ.प्र.)
चलभाष-07891771737
हमें प्यार से तुम सताया करो।
जवाब देंहटाएंसदा स्वप्न हमको दिखाया करो॥