माटी की सोंधी सुगन्ध
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माटी की सोंधी सुगंध जब
तन-मन को महकाती है।
प्रियवर मेरे आ जाओ तुम
याद तुम्हारी आती है।
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राह देखते जाने कितने
शिशिर और हेमंत गये।
जीवन की उलझन सुलझाते
सारे बीत बसंत गये।
बरसों की प्यासी धरती पर
काली बदली छाती है।
प्रियवर मेरे आ...............।
🍒🍒🍃🍃
सारी-सखियों की चर्चा मैं
रोज-रोज जब सुनती हूँ।
मधुर-मिलन की कोमल आशा
अपने मन में बुनती हूँ।
पुन: प्रणय की अभिलाषा को
पुरवाई भड़काती है।
प्रियवर मेरे आ................।
🍒🍒🍃🍃
गहन-ग्रीष्म की तपन भूलकर
तालाबों में कमल खिले।
तोड़ विरह की करुण व्यथा को
चातक और चकोर मिले।
डाली पर बैठी कोयल जब
मधुरिम स्वर में गाती है।ग
प्रियवर मेरे आ................।
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परिचय
नाम-उमाकान्त पाण्डेय
पता-विकासनगर लखनऊ
मो. 9450827670
शैक्षिक योग्यता - एम. ए.( दर्शन शास्त्र इ.वि.वि.) बी.एड.
सम्प्रति- बाराबंकी में शिक्षक के रूप में कार्यरत।
स्थायी पता-ग्राम जमुनिया मऊ
पोस्ट-मिल्कीपुर।
जनपद-फैजाबाद।
प्रकाशित रचनाएँ-कविता लोक
(साझा संकलन) देश के कई प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
चित्र गूगल से साभार
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