न माँगू दौलते-दुनिया
जमाने भर की ही खुशियां
कि प्रिय तुमसे तो दिल ने
एक ही उपहार माँगा है
तुम्हारा प्यार माँगा है
बडी सूनी पडी हैं इस
हृदय के गाँव की गलियां
घिरे हैं घन विषमता के
बनी काँटा सभी कलियाँ
ये तो बर्बाद गुलशन है
बड़ा नाशाद ये मन है
नहीं मधुमास आ सकता है ,
बस पतझाड़ माँगा है
तुम्हारा प्यार माँगा है
हृदय के भाव जब छुपते
नहीं तब गीत बन जाते
उभर कर दर्द दिल के ही
मधुर संगीत बन जाते
कहे थे बोल जो तूने
लगे थे जो बहुत अपने
उसे ही गुनगुनाने का
फक़त अधिकार माँगा है
तुम्हारा प्यार माँगा है
मेरे गीत को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार अवनीश त्रिपाठी जी
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार अवनीश त्रिपाठी जी
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