📰📰ज़िन्दगी📰📰
ये जिँदगी आज मुझसे हिसाब माँग रही है,
मानो सूखी नदी से सैलाब माँग रही है
मैँने तो किया था सवाल जिँदगी से,
आज जिँदगी ही मुझसे जबाव माँग रही है,
ये जिँदगी आज......📰
मैँ तो हूँ माली, पौधोँ को सीँचता हूँ,
देखकर प्यार भँवरोँ का आँखेँ मीचता हूँ,
कोई पूरी खिल गयी है, कोई अधखिली कली है,
इस पेड की लताऐँ उस पेड से जा मिली हैँ,
मैँ खुद सह रहा हूँ यहाँ काँटोँ की चुभन को,
और ये बगियाँ मुझसे, गुलाब माँग रही हैँ,
ये जिँदगी आज.....📰
मैँ हूँ श्यामबिहारी, यहाँ गोपियोँ से घिरा हूँ,
घर मेँ भी और बाहर भी, मैँ हर जगह लुटा हूँ,
किसी ने खिलाया माखन, किसी ने मुझे नचाया,
कोई मिल गयी यूँ ही, किसी ने बहुत सताया,
कोई सुन रही है मेरे अनोखे किस्से,
कोई जिँदगी की किताब माँग रही है,
ये जिँदगी आज.......📰
मैँ हूँ इस दुनिया का सामान्य सा प्राणी,
ना ही कोई ज्योतिष, ना ही कोई ज्ञानी,
पल पल मैँ मरता हूँ, ना कोई पल जीता हूँ,
हर रोज ही गमोँ का अहसास मैँ पीता हूँ,
इन गमोँ को भुलाने, अब सोने मैँ चला हूँ,
और ये नीँदेँ मुझसे मेरे ख्बाव माँग रही हैँ,
ये जिँदगी आज .......📰
शैलेश अग्रवाल
क़स्बा = खेड़ली
तहसील= कठूमर
जिला= अलवर (राज.)
मो.= 8560089197
चित्र गूगल से साभार
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