गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

धीरज श्रीवास्तव का प्रेम गीत

❤ प्रेमगीत ❤

नजरों में मधुमास तुम्हारी
क्यों न लहकते गीत मेरे!
पंक्षी बन ये मन उड़ता जब
क्यों न चहकते गीत मेरे!
❤❤
प्रतिदिन छत पर साँझ उतरकर
रूप सँवारा करती है!
और नहाती जा सागर में
बदन उघारा करती है!
बाल खोल फिर मुस्काती जब
क्यों न बहकते गीत मेरे!
❤❤
दिखता है अब मुझे चाँद पर
सदा तुम्हारा ही साया!
तप्त तुम्हारी साँसों ने ही
सूरज को है दहकाया!
छुआ अधर से जब तुमने तो
क्यों न दहकते गीत मेरे!
❤❤
शब्द शब्द न्यौछावर तुम पर
यही सर्जना जीवन है!
शिल्प गढ़ा हैं प्रिये तुम्ही ने
भाव तुम्हारा यौवन है!
चंदन सी जब याद तुम्हारी
क्यों न महकते गीत मेरे!
❤❤

रचना---धीरज श्रीवास्तव
ए- 259, संचार विहार मनकापुर गोण्डा (उ.प्र)
फोन- 08858001681

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