शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

डॉ. दिनेश चंद्र भट्ट की ग़ज़ल-'अश्कों को तो दर्द दिखाना होता है'

काव्य शिल्पी फ़िलबदीह-10
🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷

अश्कों  को  तो  दर्द दिखाना होता है
और खुशी पर भी मिट जाना होता है।

रुखसत होकर लोग गए जो दुनिया से
क्या उनका भी कोई' ठिकाना होता है?

रूठ गए  जो दिल की  बस्ती से याराँ
मुश्किल उनको फिर से पाना होता है।

बेगानी  दुनिया में  दिल के मारों का
मयखाना महफूज ठिकाना होता है।

दैरो हरम नहीं सुख चैन दिलाते अब
काम जहाँ नफरत फैलाना होता है।

डॉ.दिनेश चन्द्र भट्ट
चमोली, उत्तराखण्ड

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें