गुरुवार, 25 अगस्त 2016

रामशंकर वर्मा जी का नवगीत 'हम हैं पेटीकोट'

यथार्थ आकलन करती हुई एक ऐसी रचना जिसे अवश्य ही पढ़ना चाहिए--हम सभी को.

तुलसी सूर कबीर निराला
सब कौड़ी के तीन
हम हैं पेटीकोट
हमारी कविता समकालीन।

वह भी कोई कविता
जिसको छंदों से अनुराग
जीवन के अधरों पर लय का
उत्तरजीवी राग
चार जने हम कविता पढ़ते
सुनते केवल तीन।

हम हैं पेटीकोट
हमारी कविता समकालीन।

पार समंदर हमने खोजे
कविता के गुणसूत्र
और तुम्हारी कविताई
बैलों का गोबर मूत्र
हम हैं प्रगतिशील मन्मथ की
चौंसठ कला प्रवीन।

हम हैं पेटीकोट
हमारी कविता समकालीन।

लोहू के आँसू  हिरदय की
धड़कन सब खटराग
हम अंगार निगलने वाले
हगते विप्लव आग
तुम हो धूल पसीना हम हैं
ईरानी कालीन।

हम हैं पेटीकोट
हमारी कविता समकालीन।

रचनाकार-
श्री रामशंकर वर्मा

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