दो बेमिसाल ग़ज़लें
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भले खोटा हो सिक्का चाहिए था
हमें हिस्सा हमारा चाहिए था
मुहब्बत ने मुझे अंडा दिया है
मुझे तो सौ से ज्यादा चाहिए था
अभी है देवता नाराज मेरा
कहीं से फूल ताजा चाहिए था
बहुत कमजोर सेहत कह रही है
दवा का लाभ होना चाहिए था
अधूरा चाँद हो तुमको मुबारक
हमें तो चाँद पूरा चाहिए था
हुई पैदा कई बेटों की माँ है
हमें तो सिर्फ बेटा चाहिए था
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हमारा हाथ वो छोड़े नहीं हैं
हमारे साथ भी रहते नहीं हैं
कि उनके शब्द मिसरी घोलते हैं
मगर वो बात ही करते नहीं हैं
कई घंटों से हैं वो ऑनलाइन
मगर मैसेज मेरा देखे नहीं है
बने रहना है जिनको सुर्खियों में
हमारे बीच वो आते नहीं हैं
मोहब्बत खेल है ज्यों साँप-सीढ़ी
यहाँ पर साँप हैं रस्ते नहीं हैं
✍️सत्यशील राम त्रिपाठी, खजनी, गोरखपुर
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