क्या रावण वध शेष अभी है
कब लौटोगे राम?
देख रहा है राह तुम्हारी
विकल अयोध्या धाम
महल नहीं खँडहर बाकी हैं
अब भी कातर स्वर बाकी हैं
बाद तुम्हारे जाने कितने
प्रश्नों के उत्तर बाकी हैं
अक्सर उठते ही रहते हैं
तुम पर प्रश्न तमाम !
सच क्या है सब जान रहे हैं
लेकिन हठ भी ठान रहे हैं
सिंहासन पर रखे खड़ाऊं
खुद को राजा मान रहे हैं
सुनने से भी कतराते हैं
लोग तुम्हारा नाम!
जीवन का पथ मोड़ गये हैं
सुख से नाता तोड़ गये हैं
कैसे कोई मन समझाए
भरत अयोध्या छोड़ गये हैं
कठिन प्रतीक्षा के पल हैं ये
कैसे हो आराम!
कब लौटोगे राम !
कब लौटोगे राम !
_ज्ञान प्रकाश आकुल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें