"कथासमवेत" द्वारा आयोजित मां धनपति देवी स्मृति कथा सम्मान समारोह में तीन सत्रों में साहित्यिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।
पहले सत्र में सम्मान समारोह दूसरे सत्र में विचारगोष्ठी और तीसरे सत्र में कवि गोष्ठी आयोजित की गई ..।
पहले सत्र में मां धनपतिदेवी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन कर के कार्यक्रम की शुरुआत हुई । इस सत्र की अध्यक्षता डा सूर्यदीन यादव और संचालन बन्धू कुशावर्ती ने किया ।जिसमें लखनऊ के कथाकार अनूपमणि त्रिपाठी ,गोरखपुर के पत्रकार प्रदीप उपाध्याय को स्मृतिचिन्ह,अंगवस्त्र व धनराशि देकर सम्मानित किया गया ।
दूसरे सत्र में हिंदी कथा साहित्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव विषय पर विमर्श गोष्ठी आयोजित हुई। जिसमें बोलते हुये नाइस हसन ने स्त्री विमर्श के लिए सोशल मीडिया को एक अच्छा मंच बताया जहाँ महिलाएं अपने मन की बात कथाओं और कविताओं के माध्यम से कह सकती हैं।युवा आलोचक ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ने कहा - सोशल मीडिया नई पीढ़ी का साहित्य है। नई पीढ़ी किताबी कल्चर में नहीं बल्कि सायबर कल्चर में जी रही है। सोशल मीडिया ने हिंदी कथा साहित्य का शिल्प और कथावस्तु दोनों बदला है।तमाम शंकाएँ उचित नहीं।
वरिष्ठ साहित्यकार स्वप्निल श्रीवास्तव ने कहा कि सोशल मीडिया पर हर तरह का साहित्य उपलब्ध है यह हमारे ऊपर है कि हम क्या चुनते हैं।युवा गीतकवि अवनीश त्रिपाठी ने सोशल मीडिया के महत्व को इस तथ्य में महत्वपूर्ण बताया कि चर्चाएं और अभिव्यक्तियां हम इन मंचों पर सरलता से कर सकते हैं। जहाँ पाठकवर्ग अधिक हैं। लेकिन उनके संकलन और उनके प्रचार के लिए हमें प्रिंट मीडिया में आना ही पड़ता है अतः प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया के अपने महत्व हैं उनकी तुलना उचित नहीं। वरिष्ठ कथाकार दिनेश प्रताप सिंह चित्रेश ने कहा कि हम अब सोशल मीडिया के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकते। डा. सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु ने सोशल मीडिया को साहित्य का हितैषी तो बताया लेकिन साथ ही उसके नकारात्मक दोषों से भी अवगत कराया, डा ओंकारनाथ द्विवेदी, और डा. राम प्यारे प्रजापति ने भी अपने विचार रखे । इस सत्र की अध्यक्षता आद्या प्रसाद सिंह'प्रदीप' व संचालन डॉ. करूणेश भट्ट ने किया ।
तीसरे सत्र में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ भानु प्रताप सिंह व संचालन आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह 'जटायु' ने किया । इसमें लखन प्रतापगढ़ी, विपिन विक्रम सिंह, साक्षी शुक्ला, अशोक शर्मा , आतिश, अमन सुलतानपुरी , ऊषा श्रीवास्तव , प्रदीप उपाध्याय , यतीन्द्र शाही, जयंत त्रिपाठी , आदि ने काव्यपाठ किया ।
कार्यक्रम संयोजक डॉ.शोभनाथ शुक्ल ने आभार ज्ञापन किया ।
---- संयोजक डॉ. शोभनाथ शुक्ल, संपादक "कथा समवेत"
साहित्य एक विशद अनुभूति है और वह अनुभूति मानव मन में बसी है.....आइए महसूस करें उस अनुभूति को....😊
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