सोमवार, 29 अगस्त 2016

सागर प्रवीण की उत्कृष्ट गीतिका

🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷
सामने नयनों के खुल जाते हैं सारे संस्मरण
हो रहा हो जब ह्रदय में गीतिका का अवतरण
🌼🌸
पास मीठी चीज़ के जैसे कि पहुँचे चीटियाँ
दुःख चला आता है यूँ करते हुए अब अनुसरण
🌹🌺
आप मेरी गलती पर अँगुली उठाना बाद में
आप कर लें ठीक पहले आपका अंतःकरण
🌳🌲
झूठ मक्कारी की बीमारी से हो लिपटे हुए
आपका क्षय रोग से लगता ग्रसित है आचरण
🌴🌱
पुष्प इक मसला गया हैवानियत के हाथों से
हो रहा था कहने को सारे शहर में जागरण
🍀🌿
कर रहे हैं लोग अपनी सभ्यता का हीं हनन
पश्चिमी तहजीब का जो कर रहे हैं अनुसरण
🌾🌵
सत्य पढ़ने का हमें भी आ गया है अब हुनर
अपने चेहरे से हटा लो झूठ का तुम आवरण
🌻💮
बह रही है रोष इर्ष्या और बदले की हवा
कितना दूषित हो गया है आज का वातावरण
🍂💐
रोपता कोई नहीं इक वृक्ष धरती पर कहीं
कर रहे हैं कामना ये, स्वस्थ हो पर्यावरण
🐠🐝

सागर प्रवीण
भदोही, उत्तर प्रदेश

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