रविवार, 21 फ़रवरी 2016

संजू बाबा "बेनाम" की ग़ज़ल


कलम के मेरे हर अल्फ़ाज़  का इतना फ़साना था,
लिखूं मैं कुछ भी बस इक नाम तेरा यार आना था।

कि बाद-ए-हिज़्र मुझसे अश्क़ मेरे कह रहे हमदम,
मुझे भी  भूल  जाना था  तुझे भी  भूल  जाना था।

उड़ा कर  नींद मेरी  ख्वाब में  कहता था  आऊँगा,
न मिलने का सनम के रोज का अच्छा बहाना था।

सवालों पे  मेरे खामोश  क्यूँ संग - ए - खुदा  है तू,
नहीं  मालूम था  जो गर  तुझे मुझको  बताना था।

कहाँ तस्कीन मिलती दिलजलों को इस जमाने में,
सभी दर्द- ए -दिलों का मयकदे में बस ठिकाना था।

बता " बेनाम " कैसे  जीतता  मैं इस  जहां को जब,
लकीरों में  मेरी  लिक्खा  खुदी  से  हार  जाना  था।
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परिचय:--
नाम:- संजू बाबा "बेनाम"
पिता :- स्व श्री स्वामी नाथ मौर्य
माता - श्रीमती निर्मला देवी
जन्मतिथि :- ०५ / ०६ / १९८९
शिक्षा : स्नातक, अवध विश्वविद्यालय, फैज़ाबाद
संप्रति : प्राइवेट जॉब
पता : म नं २२८७/९, विवेकानंद नगर,
         सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश
संपर्क नं : 9839205494, 8115296666
ई मेल : sanjay.perfect100@gmail.com

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