बुधवार, 20 दिसंबर 2017

माँ धनपती देवी स्मृति कथा साहित्य सम्मान-2017 में चयनित कहानीकारों का सम्मान एवं संगोष्ठी का सफल आयोजन


सुलतानपुर,उ.प्र.20 दिसम्बर।
स्थानीय जिला पंचायत सभागार में 'कथा समवेत' पत्रिका द्वारा आयोजित "माँ धनपती देवी स्मृति कथा साहित्य प्रतियोगिता-2017" में चयनित कथाकारों में डॉ सोनी पाण्डेय (आज़मगढ़), गोपाल नारायण आप्टे (होशंगाबाद), अरुण अर्णव खरे (भोपाल),रश्मि शील (लखनऊ) को अंगवस्त्र, धनराशि, सम्मानपत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया गया। समारोह का आरम्भ माँ सरस्वती और माँ धनपती देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ।दो सत्रों के इस आयोजन में प्रथम सत्र की अध्यक्षता पूर्व उप पुलिस अधीक्षक ज्वाला प्रसाद पाण्डेय ने किया। इस कार्यक्रम के आयोजक  कथा समवेत के सम्पादक डॉ0 शोभनाथ शुक्ल ने समारोह में आये अतिथियों एवं कहानीकारों का स्वागत किया एवं परिचय दिया।सम्मानित कथाकारों में डॉ सोनी पाण्डेय ने कहा कि पुरस्कार हमारे लिए चुनौतियां लेकर आते हैं कि हमें कुछ और बेहतर करना है। हम कहानियों में जीवन लिखते हैं न कि जीवन के लिए कहानी। डॉ रश्मि शील ने कहानियों पर बोलते हुए कहा कि जब कोई विचार उद्वेलित करता है तभी कहानी बनती है।भोपाल के कहानीकार अरुण अर्णव खरे ने कहा पारिवारिक रिश्ते  आजकल टूटने के कगार पर हैं। इसी क्रम में डॉ गोपाल नारायण आवटे ने अपनी रचना प्रक्रिया में सामाजिक परिवेश और खासकर आदिवासियों की जीवन शैली के प्रभाव की चर्चा की।कथाकार चित्रेश ने प्रतियोगिता में आई कहानियों पर विस्तृत टिप्पणी करते हुए कहा कि आज कहानी में लोकभाषा और लोकमुहावरे बहुत प्रभावित कर रहे हैं।चयनित कहानीकारों के सम्मान के पश्चात समय समाज और साहित्य पर सोशल मीडिया का हस्तक्षेप विषय पर एक सार्थक बहस हुई।विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ शोभनाथ शुक्ल ने कहा हस्तक्षेप का तात्पर्य कहीं न कहीं जबरदस्ती भी है।हम नहीं चाहते तब भी उसकी गिरफ्त में आ जाते है।सोशल मीडिया कई स्थानों पर उपयोगी है तो इससे तमाम आपराधिक प्रवृतियां भी फैल रही हैं।
प्रसिद्ध आलोचक रघुवंशमणि ने विस्तार से इस विषय पर बोलते हुए कहा-सोशल मीडिया ने संवाद के क्षेत्र में एक नई क्रांति पैदा की है लेकिन यह एक दोधारी तलवार की तरह है इसका उपयोग दुष्प्रचार के लिये अधिक हो रहा है यह चिंतनीय है। उन्होंने आगे कहा कि तकनीक हमारी सामर्थ्य को बढ़ाती है तो हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है लेकिन सवाल यह है कि क्या सोशल मीडिया का प्रयोग सकारात्मक हो रहा है? इस विषय पर युवा आलोचक ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह'रवि' ने कहा -'सोशल मीडिया आधुनिक युग की नई ऊर्जा है ।इसका उपयोग सकारात्मक व नकारात्मक ढंग से बखूबी हो रहा है यह उपयोगकर्ता पर निर्भर है कि वह किस ओर जाता है।' इस सत्र का संचालन डॉ करुणेश भट्ट ने किया।
         समारोह के द्वितीय सत्र में 'कथा समवेत' पत्रिका के दिसम्बर अंक और चित्रेश के कहानी संग्रह 'अंधेरे के बीच' का विमोचन डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, डॉ रघुवंशमणि, वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी, संगीता शुक्ला,अवनीश त्रिपाठी, मथुरा प्रसाद सिंह जटायु, सोनी पाण्डेय, डॉ गोपाल नारायण आप्टे एवं अरुण अर्णव खरे,ममता सिंह,रश्मि शील द्वारा हुआ। अँधेरे के बीच कृति पर बोलते हुये श्याम नारायण श्रीवास्तव (रायगढ़) ने कहा कि संग्रह की कहानियाँ समय और समाज के यथार्थ को उजागर करती हैं और व्यवस्था पर चोट करती हैं।कई कहानियां देशज शब्दों के प्रयोग में पूरा न्याय बरतती हैं। सत्र की अध्यक्षता डॉ.आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' व संचालन ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ने किया । समारोह में हनुमान प्रसाद मिश्रा, मथुरा प्रसाद सिंह'जटायु', जगदीश श्रीवास्तव, साक्षी शुक्ला, पूजा पाठक, प्रिया मिश्रा, भावना पाण्डेय, प्रशंसा शुक्ला, डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु', जयंत त्रिपाठी, डॉ.सूर्यदीन यादव, डॉ.ओंकारनाथ द्विवेदी,विपिन विक्रम सिंह, डॉ.रामप्यारे प्रजापति , सुरेश चंद्र शर्मा, कपिल देव सिंह, शैलेन्द्र तिवारी, डॉ गीता सिंह, प्रीति त्रिपाठी, अन्नू त्रिपाठी,सन्दीप सिंह आदि की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय है।आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए डॉ शोभनाथ शुक्ल ने कहा कि ये कहानी प्रतियोगिता और सम्मान समारोह कहानी के अच्छे भविष्य की ओर संकेत करता है।अन्य विधाओं के मुकाबले कहानी लोगों की ज़ेहन में अच्छा प्रभाव छोड़ती है।सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति इसका सजीव प्रमाण है।

मंगलवार, 12 दिसंबर 2017

सुलतानपुर के तीन साहित्यकारों को उ.प्र.हिन्दी संस्थान का पुरस्कार

    सुलतानपुर  । उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा सोमवार दिनांक 11 दिसम्बर 2017 की देर रात घोषित पुरस्कार सूची में जनपद के तीन साहित्यकारों को महत्त्वपूर्ण स्थान मिला है ।
यह जानकारी देते हुये साहित्यिक सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था  अवधी मंच के सचिव ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ने बताया कि हिन्दी साहित्य में सुलतानपुर जनपद का विशिष्ट स्थान है । इस बार उ.प्र. हिन्दी संस्थान ने वर्ष 2016 के पुरस्कारों की जो घोषणा की है उसमें  दो लाख रुपये का लोकभूषण सम्मान कादीपुर तहसील के रानेपुर गांव निवासी डॉ.आद्या प्रसाद सिंह'प्रदीप' को , पचास हजार रुपये का महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार कादीपुर कस्बे के डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु' को तथा यशपाल पुरस्कार परऊपुर गांव निवासी शंकर सुलतानपुरी को दिया गया है ।
डॉ.आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' को लोकभाषा पर किये गये उनके समग्र महत्त्वपूर्ण कार्य हेतु , डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु' को उनकी पुस्तक तुलसीतत्व चिंतन पर निबंध विधा हेतु व शंकर सुलतानपुरी को उनकी कृति चौथा कन्धा पर कहानी विधा हेतु  पुरस्कृत किया गया है ।
जिले के यह तीनों साहित्यकार हिन्दी साहित्य की अपनी विधाओं में काफी चर्चित हैं । इनके सम्मान पर आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह'जटायु' , कथासमवेत के सम्पादक डॉ.शोभनाथ शुक्ल, कथाकार चित्रेश, के.एन.आई.के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम सिंह , युगतेवर के सम्पादक कमल नयन पाण्डेय, संत तुलसीदास पी.जी.कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.करुणेश भट्ट,डॉ.ओंकारनाथ द्विवेदी , ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह'रवि' , अवनीश त्रिपाठी, मदन मोहन पाण्डेय 'मनोज' , ब्रजेश कुमार पाण्डेय 'इन्दु' , कृष्णमणि चतुर्वेदी 'मैत्रेय' आदि लोगों ने प्रसन्नता जताते हुये इसे जनपद का गौरव बताया है।